Kumbh Ka Mela Kaha Lagta Hai(कुम्भ का मेला कहाँ लगता है?) 2025 में पूरी जानकारी

Kumbh Ka Mela Kaha Lagta Hai: कुम्भ मेला को भारतीय संस्कृति में अत्यंत पवित्र धार्मिक आयोजन कहा गया है जो देश के करोड़ों श्रद्धालुओं को अन्य अस्थान से लाकर एक स्थान पर इकट्ठा करता है।

Kumbh Ka Mela Kaha Lagta Hai

हर बार की तरह इस मेले में करोड़ों श्रद्धालु शामिल होकर अपने पापों से मुक्ति और आत्मशुद्धि को खत्म करना चाहते हैं। कुम्भ मेला देश के केवल चार स्थानों पर ही होता है जैसे की- प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन, और नासिक में भी आयोजित होता है और इसमें लाखों की संख्या में  नागा साधु, संन्यासी साधु, और श्रद्धालु शामिल होते हैं। आज के इस लेख में हम सब जानेंगे, आखिर कुम्भ मेला देश में कहाँ-कहाँ लगता है? और अगला कुम्भ मेला कब लगेगा? अर्ध कुम्भ और महा कुम्भ मेले के बारे में जानकारी, और इन आयोजनों से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें जानेंगे ।

Kumbh Ka Mela Kaha Lagta Hai

आखिर कुम्भ का मेला देश में कहाँ-कहाँ लगता है? (Kumbh Ka Mela Kaha Lagta Hai)

भारत में कुम्भ मेला केवल चार प्रमुख स्थानों पर ही आयोजित किया जाता है:

  1. प्रयागराज (इलाहाबाद): गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों के तट के संगम पर आयोजित किया जाता है और ये दुनिया भर में प्रसिद्ध है।
  2. हरिद्वार: गंगा नदी के तट पर होने वाला हरिद्वार का कुम्भ मेला भी तीर्थयात्रियों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र माना जाता है।
  3. उज्जैन: यहाँ का कुम्भ मेला क्षिप्रा नदी के संगम पर आयोजित होता है।
  4. नासिक: गोदावरी नदी के तट पर होने वाला नासिक का कुम्भ का मेला प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक आकर्षण केंद्र है।

इन सभी स्थान पर कुम्भ का मेला 12 साल में एक बार मनाया जाता है, जिसमें अलग-अलग वर्षों में अन्य स्थानों पर किया जाता हैं लेकिन सबसे बड़ा कुम्भ का मेला प्रयागराज (इलाहाबाद) में होता है।

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कुम्भ मेला का इतिहास

कुम्भ मेले का हिन्दू राज में धार्मिक और पौराणिक महत्व है। देश के श्रधालुओ के मान्यता के अनुसार, जब समुद्र मंथन हुआ था तो अमृत की कुछ बूंदें इन चार स्थानों पर गिर गयी थीं, जिसके परिणामस्वरूप यहाँ पर हर बारह साल में एक बार कुम्भ मेले का आयोजन किया जाता है। यहाँ पर आकर भक्त लोग स्नान करके अपने अंदर के आत्मशुद्धि और मोक्ष प्राप्ति करते है।

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अगला कुम्भ मेला कब लगेगा? (Agla Kumbh Ka Mela Kab Lagega)

इस साल कुम्भ मेला 2025 में उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में आयोजित किया जा रहा है। इसके बाद, हरिद्वार में 2028, उज्जैन में 2032 किया जायेगा, और नासिक में 2036 में कुम्भ मेले का आयोजन किया जाएगा। यह मेला हर बारह वर्षों में प्रत्येक स्थान पर आयोजित किया जाता है, इसलिए सभी श्रद्धालुओं को हर स्थान पर कुम्भ के मेले लिए बारह साल तक प्रतीक्षा करना परता है।

महा कुम्भ का मेला कब लगेगा? (Maha Kumbh Mela Kab Lagega)

हमारे देश में महा कुम्भ का मेला हर (144) वर्षों में एक बार आयोजित किया जाता है, 12 कुम्भ मेलों के बाद एक महा कुम्भ आता है। इस बार महा कुम्भ मेला 2025 में प्रयागराज में आयोजित हो रहा है जिसे संपन्न करने के लिए उत्तरप्रदेश सरकार खूब मेहनत कर रही है। महा कुम्भ मेला का यह त्यौहार अत्यंत दुर्लभ अवसर पर होता है और इसे सब हिन्दू भक्तो का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन में से एक माना जाता है। इस मेले के उपलब्धि में श्रद्धालु करोड़ो संख्या में एकत्र होकर अपने जीवन को पवित्र करने का प्रयास करते हैं।

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अर्ध कुम्भ का मेला कब लगेगा? (Ardh Kumbh Mela Kab Lagega)

हर छह वर्षों के बाद कुम्भ मेले के बीच अर्ध कुम्भ का आयोजन किया जाता है। यह मेला केवल प्रयागराज और हरिद्वार में ही आयोजित होता है। अगला अर्ध कुम्भ मेला 2028 में हरिद्वार में होने वाला है, जिसमें लाखों श्रद्धालु यहाँ शामिल होंगे।

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नागा साधु और कुम्भ मेला (Naga Sadhu or Kumbh Mela)

कुम्भ मेला अन्य भक्तों के अलावा नागा साधुओं के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है। इस मेला में साधु परंपरागत रूप से नग्न अवस्था में मौजूद होते हैं और भगवान शिव के भक्त कहलाते हैं। कुम्भ मेले में नागा साधु विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र माने जाते हैं। इस मेले के दौरान साधू संत पूजा-अर्चना, अखाड़ों में परंपरागत युद्ध की कला प्रदर्शन करते है, और उनके दर्शन से मेले में आने वाले भक्तों के लिए धार्मिक अनुभव को और भी विशेष बनाते हैं।

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कुम्भ मेला का आयोजन: परंपराएँ और अनुष्ठान

कुम्भ मेले का मुख्य अनुष्ठान “शाही स्नान” है, जो विभिन्न अखाड़ों के द्वारा होता है। इसमें संत और साधु मिलकर एक साथ स्नान करते हैं, और उनके स्नान के बाद ही सभी श्रद्धालुओं को स्नान की अनुमति दी जाती है। शाही स्नान के दिन को बहुत ही ज्यादा पवित्र माना गया है और ऐसा माना जाता है कि इस दिन स्नान करने से सभी पापों का नाश हो जाता है। इसके अलावा मेला में, प्रवचन, कीर्तन, और धार्मिक प्रवास भी मेले का एक हिस्सा होता हैं।

कुम्भ मेले की प्रमुख तिथियाँ: 2025 (Kumbh Mela Main Dates 2025)

प्रयागराज महा कुम्भ मेला 2025को प्रमुख स्नान तिथियाँ पर निर्धारित की गई हैं:

  • पहला शाही स्नान: मकर संक्रांति – 14 जनवरी को है।
  • दूसरा शाही स्नान: मौनी अमावस्या – यानी 29 जनवरी को है।
  • तीसरा शाही स्नान: बसंत पंचमी – 03 फरवरी को है।
  • महाशिवरात्रि स्नान: 26 फरवरी को है।

यह स्नान, विशेष रूप को महत्व रखती हैं, और इन तिथियों पर स्नान करके लाखों श्रद्धालु स्नान कर पुण्य प्राप्ति की कामना करते हैं।

कुम्भ मेला में सुरक्षा और सुविधा

कुम्भ मेला एक विशाल मेला है और इस मेले का आयोजन सुरक्षा और सुविधा का विशेष रूप से दर्शाता है। राज्य सरकार व प्रशासन विभिन्न उपाय करते हैं, जैसे – रुकने व रहने के लिए आवास, जरुरी चिकित्सा सुविधाएँ, और सुरक्षा व्यवस्था मुहैया करवाते। मेले में मेडिकल कैंप अनेक स्थान पर लगाए जाते , व पुलिस चौकियाँ भी बनाई जाती है, इसके अलावा विभिन्न प्रकार की जरुरी सेवाएँ भी की जाती हैं, जिससे किसी श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा ना हो। इस बार प्रयागराज महा कुम्भ मेला 2025 में बहुत ही ज्यादा सुरक्षा व्यबस्था की गयी है।

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कुम्भ मेला की यात्रा: महत्वपूर्ण सुझाव

कुम्भ मेले को देखने के लिए व यात्रा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण सुझाव हैं जैसे की:

  • प्रारंभिक योजना बनाएं: कुम्भ मेला में करोड़ो लोग आते हैं, इसलिए पहले से उचित योजना बना कर आये।
  • रहने की सुविधा बुक करें: मेले में भारी मात्रा में भीड़ होती है, इसलिए मेले में आने से पहले रहने की आवास की सुविधा पहले से बुक करना जरुरी है।
  • भीड़भाड़ से बचें: भीड़ से बचने के लिए आप अपने समय का ध्यान रखें व शाही स्नान के दौरान विशेष सावधानी बरतें।

निष्कर्ष

कुम्भ मेला को केवल विशेष रूप से धार्मिक आयोजन ही न माना गया है, बल्कि यह पर्व भारतीय संस्कृति और परंपराओं से अबगत कराता है। इस पवित्र आयोजन में शामिल होना हर श्रद्धालु को दिव्य अनुभव होता है। Kumbh Ka Mela Kaha Lagta Hai(इस वर्ष कुम्भ मेला 2025) में प्रयागराज में हो रहा है, जो एक महा कुम्भ मेला भी है। इस अवसर पर नागा- साधुओं का दर्शन करके, व पवित्र स्नान करके, और धार्मिक प्रवचन श्रद्धालुओं को एक अनोखा अनुभव देता हैं। कुम्भ मेला के आयोजन में शामिल रहकर हर व्यक्ति अपने अंदर के आत्मशुद्धि और पवित्रता का अनुभव करता है। इस मेले से जुड़े और जानकारी के बारे में जानना चाहते है तो यहाँ क्लिक करे.

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